Thursday, May 23, 2013

मुगालते ...


लो, तमाम मूर्ख, बे-वजह का हो-हल्ला मचा रहे हैं मुल्क में 'उदय' 
जबकि - दोष अधिनस्थों का नहीं, उनके चाटूकार समर्थकों का है ? 
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अब हम क्या कहें 'उदय', उनकी अदाएं भी बड़ी कातिल निकलीं 
फालोअर बनाने की चाह में, वो फ्रेंड बना के अन्फ्रेंड कर गए ?? 
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अतिउत्साह में हम आज, इशारा उनका समझ नहीं पाये 
करने गए थे मुंह मीठा, दांत खट्टे.......कर के चले आये ?
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कहीं कुछ भी तो नहीं है उनकी परछाइयों में 
तुम्हारे ही जेहन में बसे किसी खौफ ने तुम्हें डरा दिया होगा ?
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कौन जानता है साहित्यिक मुकाम 'उदय'
यहाँ तो, जिसे देखो वही मुगालते में है ?
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1 comment:

कविता रावत said...

अतिउत्साह में हम आज, इशारा उनका समझ नहीं पाये
करने गए थे मुंह मीठा, दांत खट्टे.......कर के चले आये ?
... बहुत खूब!