Friday, May 10, 2013

चिट-फंड ...


क्या खूब गिड़-गिड़ा रहे हैं गिगिरगिट्टे 
जिन्होनें वक्त रहते रंग नहीं बदला ? 
... 
जोर उनका चलता नहीं है 
वर्ना, वो पिछवाड़े भी लगा के घूम लेते लाल बत्ती ? 
... 
मौत उसकी भी 'उदय',.....रंग ला रही है 
तमाम हिजड़ों की जुबाँ लप-लपा रही है ? 
... 
वक्त-वक्त की बात है 'उदय' 
वही कुत्ता, वही शेर है ????
... 
सरकार उनकी है, और खुद सरकार भी हैं वो 
चिट हो या हो फंड, कौन क्या बिगाड़ लेगा ? 
... 

1 comment:

प्रवीण पाण्डेय said...

चितपट के खेल को चिट कर दिया, बीच का तप हटा दिया।