Thursday, April 4, 2013

फ़रिश्ते ...


तनिक जोर-आजमाईश तुम भी कर लो, 
फिर देखें, बनाते हो या बनते हो एप्रिल-फूल खुद यारा 
... 
वो इतने भी मुलायम नहीं हैं 'उदय', कि - दबाने से दब जाएँ 
पर, गर, खुद उनकी ही मंसा हो, तो फिर हम क्या कहें ???
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आज हमारी मुहब्बत का इम्तिहान है 'उदय' 
चुप रहो, ये पैगाम भेजा है उन्ने ???????
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ऐंसा सुनते हैं 'उदय', जो दिखता है वही बिकता है 
तो फिर, दुनिया ये समझ ले, हमें बिकना नहीं है ?
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एक तो, वो बगैर सहारे के खड़े हो नहीं पाते 
फिर भी, फ़रिश्ते कह रहे हैं खुद को वो ???
... 

2 comments:

yashoda Agrawal said...
This comment has been removed by the author.
प्रवीण पाण्डेय said...

बहुत ख़ूब