सच ! उम्र संबंधों की 'उदय', सोलह रहे या अठारह
होना वही है, जो अक्सर नादानियों में हो जाता है ?
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गर, तुमसे पहले भी,....................हमें किसी से प्यार हुआ होता
तो शायद आज हम, मुहब्बती रश्मों-रिवाजों से अनजान नहीं होते ?
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आतंकियों की मौत पे, सहानुभूति अच्छी नहीं यारा
वर्ना, पाक दामन भी.................दागदार समझो ?
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सच ! वे खुद को, पीर, मौला, हकीम, कहते हैं 'उदय'
पर, बगैर तमंच्ची घेरों के, घर से बाहर नहीं आते ?
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उफ़ ! कहाँ तुम, उस एक अदने से 'कोहिनूर' के पीछे पड़े हो
यहाँ तो, विजय, सुब्रत, जैसे सैकड़ों कोहिनूर बिखरे पड़े हैं ?
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3 comments:
आपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टि की चर्चा कल 26/3/13 को चर्चा मंच पर राजेश कुमारी द्वारा की जायेगी आपका स्वागत है ,होली की हार्दिक बधाई स्वीकार करें|
भावपूर्ण सहजता से कही गयी गहरी बात
बहुत बहुत बधाई
होली की शुभकामनायें
aagrah hai mere blog main bhi padharen
aabhar
भाव पूर्ण ...होली की हार्दिक शुभकामनाएं .....मंगलमय हो रंगोत्सव ..
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