लो, आज उन्ने.... उनके समर्थन में सीना ठोक दिया है
अब,... जनता,... पार्टियाँ ... जिसकी जो मर्जी वो करे ?
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अब तो बच्चों-बच्चों की जुबां पे सरेआम चर्चे हैं
कि - वे बिन पेंदी के हैं, कहीं भी लुड़क सकते हैं ?
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न तो उन्हें शर्म है 'उदय', और न ही वे शर्मिन्दा हैं
क्यों ?.. क्योंकि वे ईमान तो कभी का बेच चुके हैं !
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उनके चेहरों पे,..... नौ-नौ मुखौटे हैं 'उदय'
फिर भी, न मान है, और न ही ईमान है ?
1 comment:
सत्य है..
ईमान बेच दिया है.. देश बाकी है..
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