Tuesday, December 11, 2012

हकीकत ...


उनकी आशिकी में, हमने नाम कमाया है या हुये हैं बदनाम 
ये जिससे पूंछो,........................ तो वो चुप हो जाता है ?
... 
उन्हें, फर्जीवाड़े की आदत कुछ इस कदर हुई है 'उदय'
कि - मौके-बेमौके.... बाप का नाम भी बदल लेते हैं ? 
... 
अब तुम, झूठे दिलासों से मत बहलाओ हमको 
किसको नहीं मालूम जन्नत की हकीकत यारा ?

1 comment:

प्रवीण पाण्डेय said...

सबकी अपनी परिभाषायें..