Monday, November 12, 2012

जगमग-जगमग ...


सच ! आज, तेरे होने बस से 
जगमग-जगमग हो रहा 
है ये जहां 
कल जब तुम नहीं थे ... 
तब, 
सितारों से भरा 
ये आसमां, 
भी ...
मायूस हमको लग रहा था !!

4 comments:

देवदत्त प्रसून said...

सुन्दर रहस्यवाद !

सूर्यकान्त गुप्ता said...

चार लाइन की सुन्दर रचना ....

दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं ... jay johaar...

Rajendra Swarnkar : राजेन्द्र स्वर्णकार said...




ஜ●▬▬▬▬▬ஜ۩۞۩ஜ▬▬▬▬▬●ஜ
♥~*~दीपावली की मंगलकामनाएं !~*~♥
ஜ●▬▬▬▬▬ஜ۩۞۩ஜ▬▬▬▬▬●ஜ
सरस्वती आशीष दें , गणपति दें वरदान
लक्ष्मी बरसाएं कृपा, मिले स्नेह सम्मान

**♥**♥**♥**● राजेन्द्र स्वर्णकार● **♥**♥**♥**
ஜ●▬▬▬▬▬ஜ۩۞۩ஜ▬▬▬▬▬●ஜ

प्रवीण पाण्डेय said...

तुम्हारी याद संबल..