नींद का खुलना हुआ, और... यादों में तुम आ गए
अब क्या करें, कैसे उठें, हम बिन तेरे आगोश के ?
...
जी मचल रहा है, देख देख कर तुम्हें
जैसे तुम, आज ओस की बूँदें हुई हो !
...
नींद खुलते ही, तुम्हारी याद, सताने लगती है हमको
कहो तो, ...... हम .......... एक कर लें आशियाना ?
...
उनकी फूहड़ता की, अब हम क्या मिसाल दें
वो, ............. खुद को, 'खुदा' कह रहे हैं ??
...
दारु-मुर्गा, ही-ही-हू-हू, नाच-नचईय्या, तू-तू-मैं-मैं
उफ़ ! ये शादी का मंजर है,... या तमाशा है 'उदय' ?
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