Sunday, September 16, 2012

बेशर्मी ...


1 comment:

प्रवीण पाण्डेय said...

सब के सब इतराये देखो,
ढेरों इत्र लगाये देखो,
खुद अन्दर तक महक रहे हैं,
औरों को महकाये देखो।