क्यूँ मियाँ, क्या हुआ, जो रो दिये
आईने में खुद को ही देख कर ??
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'यम' आया, बगैर बोले-सुने, उठा के ले गया
उनकी तमाम दौलतें, धरी-की-धरी रह गईं ?
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रंगों से खेलता, सिर्फ काले से क्यों
लो, अब सरकार नाराज हो गई ?
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किसी को आईना, मत दिखाओ 'उदय'
गर वो रूठा, तो कैद मुमकिन समझो ?
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ये भी खूब रही, उन्हें माफी और हमें सजा
ये फरमान है, या है चमड़े का सिक्का ??
2 comments:
achchha lga padh kr.
aabhaar
बेहतरीन लिखे हैं सर!
सादर
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