वो फनकार हैं, बड़े तजुर्बेकार हैं
उन्हें घोटाले करने,
करवाने ...
करवाने ...
और घोटालों की रकमों से
बच निकलने,
और निकलवाने के -
और निकलवाने के -
सारे हुनर ... मालूम हैं ?
किन्तु -
इस बार
जान आफत में है
जान आफत में है
खुद उनकी जमानत खतरे में हैं
क्यों ? क्योंकि -
चहूँ ओर,
उनके ही घोटालों के चर्चे हैं ??
1 comment:
घोटालों के चर्चे हैं,
चर्चों के घोटाले हैं।
Post a Comment