Thursday, August 23, 2012

बदहजमी ...

पेट भर गए ...
तिजोरियाँ भर गईं ...
घर भर गए ...
काले-सफ़ेद -
सभी बैंक खाते भर गए 
फिर भी, ... उन्हें -
चैन नहीं है 
चोरी-चकारी से ? 
और तो और, 
उन्हें - 
डर भी नहीं है 
बदहजमी का ?? 

3 comments:

प्रवीण पाण्डेय said...

बड़ा आश्चर्य है, डकार भी नहीं आती है..

शिवम् मिश्रा said...

अजब गज़ब लोग है सारे ...


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Anju (Anu) Chaudhary said...

टिप्पणी मेरी भी ....बेशर्मी की हदे पार