Wednesday, August 22, 2012

कवि ही कवि ...


ऐंसी क्या बात है 'उदय' 
कि - 
आज-कल 
कविताओं में - 
कवि नजर नहीं आते ?
जबकि -
फेसबुक, ब्लॉग, 
किताबों, पत्र-पत्रिकाओं 
मंचों, सम्मेलनों 
लोकार्पणों, विमोचनों, 
पुरुस्कारों ... 
में - 
कवि ही कवि हैं ???