तुम जी चाहे उतनी कर लो कोशिश, छिपने-छिपाने की
मगर हम वो बला हैं, जो तुमको सड़क पे ले ही आएंगे ?
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इतने साल में, एक दिन भी तो, तुमने इशारा नहीं किया
अब जाते जाते, ...... रुकने की, क्या वजह हम कहें ??
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आज उन्ने 'उदय', क्या खूब चोरी-डकैती का पाठ पढ़ाया है
जी चाहे है, क्यूँ न उन्हें राष्ट्रीय पुरुस्कारों से नवाजा जाए ?
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लो, तब ही से उनकी सिट्टी-पिट्टी गुम है
जब से, जन-लोकपाल का मचा हड़कम है !
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हाँ तेरे ही शहर में, है आज-कल बसेरा अपना
पर, ठिकाने का ............ कोई ठौर नहीं है ?
हाँ तेरे ही शहर में, है आज-कल बसेरा अपना
पर, ठिकाने का ............ कोई ठौर नहीं है ?
1 comment:
अभी तो न जाने क्या क्या गुम होना है !
पूरी ब्लॉग बुलेटिन टीम और आप सब की ओर से अमर शहीद खुदीराम बोस जी को शत शत नमन करते हुये आज की ब्लॉग बुलेटिन लगाई है जिस मे शामिल है आपकी यह पोस्ट भी ... और धोती पहनने लगे नौजवान - ब्लॉग बुलेटिन , पाठक आपकी पोस्टों तक पहुंचें और आप उनकी पोस्टों तक, यही उद्देश्य है हमारा, उम्मीद है आपको निराशा नहीं होगी, टिप्पणी पर क्लिक करें और देखें … धन्यवाद !
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