Friday, July 6, 2012

जज्बात ...


सफ़र अपना 'उदय', दो-चार कदमों का नहीं है 
कोई समझाए उन्हें, गर आना जरुरी है तो कमर कस के आएँ ? 
... 
कदम कदम पे, उन्ने माथा टेका है 'उदय' 
अब हम कैसे मान लें, कि - वे भगवान हैं ? 
... 
उफ़ ! क्या खूब सजा दी है हमें उन्ने 'उदय' 
कि - पानी पे लिखे जज्बात ही क़ुबूल होंगे !

No comments: