तुमको भी मियाँ, झूठ के बहाने नहीं आते
मरघट मेरा मुकाम है, और तुम शहर में ढूँढते रहे ?
...
अगर तुम कह रहे हो तो चलो हम मान लेते हैं
मगर सच्ची नहीं लगतीं, तेरी बातें हमें यारा ?
...
क्या खूब पाठ पढ़ाया है, आज उन्ने हमें
हमारी वफ़ा का, देकर सिला बेवफाई से !
2 comments:
मरघट से सब घबराते क्यों..
keep writing..
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