न जाने कौन है जिसने जगाया, हमें रात के इस पहर
क्या ख्वाहिशें हैं बोल दो, औ ले भी लो तुम इस पहर !
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कदम कदम पे डफली है, और कदम कदम पे राग है
बजाने वाले बहरे हैं, और ताली पीटू ... हैं मूकबधिर ?
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कदम कदम पे, इस काली-घनेरी रात में भी सरसराहट है
न जाने कौन है, जो संग मेरे चल रहा है ?
1 comment:
मन जिसके साथ चलता है, वही अँधेरों में हमारे साथ चलता है।
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