Thursday, June 28, 2012

शहर ...


कदम कदम पे, है यहाँ तन्हाई का आलम 
'उदय' आज ये अपना शहर, इतना खामोश क्यूँ है ?

हुआ क्या है, कोई कुछ कहता नहीं है ... 
हरेक शख्स के चेहरे पे, मईयत-सा मातम क्यूँ है ?? 

1 comment:

Arvind Jangid said...

शहर वाले अब पत्थर हो गए हैं....शहर क्या बोलेगा !