Saturday, June 9, 2012

घोटाला ...


सच ! कोई खरीद रहा था, तो कोई बेच रहा था 
आज ईमान के बाजार में बहुत भीड़ थी 'उदय' !
... 
कैंसे बताऊँ मैं 'उदय', कि - मैं बहुत प्यासा हूँ 
क्या सूखे गले से, आवाज निकली है कभी ? 
... 
मंदिर हो, या मस्जिद हो, या फिर हो वो मयखाना 
कोई तुम एक जगह बता दो, जहां नहीं है घोटाला ?

1 comment:

प्रवीण पाण्डेय said...

सर्वव्यापी गुण..