Saturday, May 5, 2012

औरत ...


मैं एक औरत हूँ, बहादुर हूँ 
एक बड़ी अफसर हूँ 
ये हूँ, वो हूँ 
दुनिया पर नैतृत्व कर सकती हूँ !
कर रही हूँ !!
मगर, फिर भी 
मैं खुद से मुक्त नहीं हूँ 
क्यों, क्योंकि - 
मैं एक औरत हूँ !
गर्भाधान ... 
प्रसव पीड़ा ... 
बच्चे को जनना ... 
यही है कुदरत का विधान !!

1 comment:

मनोज कुमार said...

दुखद है स्थिति।