Tuesday, April 10, 2012

तकरार ...

न सरहद, न जमीं है वजह, 'उदय' आज तकरार की
ज़िंदा रहने के लिए, हमें कुछ रंग तो बदलने होंगे !!
...
होने को तो, मुर्दे भी ज़िंदा हो जाते हैं 'उदय'
पर, कोई ये न भूले, कि हम अभी ज़िंदा हैं !
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'उदय' कहता है, जख्मों को छिपा के रखना यारो
जो भी देखेगा, कुरेद कर चला जाएगा !

2 comments:

प्रवीण पाण्डेय said...

सुन अठिलैंहें लोग सब, बाट न लैहें कोऊ

sudha prajapti said...

वाह! बेहतरीन शेर