Sunday, April 8, 2012

शैतानी हसरतें ...

हे 'ख्वाजा' ...
तेरी चौखट पे, बंदिश नहीं मुमकिन
पर, दुआ इत्ती-सी है मेरी
कि -
दुआ की आड़ में
कभी, किसी शैतान की
शैतानी हसरतें
क़ुबूल न हों ! ... आमीन !!

3 comments:

Rajesh Kumari said...

दुआ की आड़ में
कभी, किसी शैतान की
शैतानी हसरतें
क़ुबूल न हों ! ...bahut sahi uday ji bhagvaan ko bhi nek niyatdaar ka hi saath dena chahiye.

dr.mahendrag said...

BHAE WAH,KYA SACH KAH DALA AAPNE

प्रवीण पाण्डेय said...

विश्वास रखिये, कभी पूरी नहीं होंगी।