Wednesday, April 18, 2012

हुनर ...

यकीनन तुम पे नहीं, तुम्हारे दिल पे अब भी एतबार है हमको
आह सुन के हमारी, वो कराह उट्ठेगा !!
...
लू की आंधियाँ चलें, या हो अब ताप की बारिश 'उदय'
जब तक, है प्याज की चटनी का असर, किसे पर्वा है !
...
हमने तो अब तक, सिर्फ बेचने का हुनर सीखा है 'उदय'
कभी ऐंसा सौदा नहीं करते, जो नुक्सान दे जाए !!

6 comments:

प्रवीण पाण्डेय said...

खुद भी नहीं जानते कि हमारा हुनर क्या है।

सु-मन (Suman Kapoor) said...

waah ..

Onkar said...

sundar panktiyan

Dr.Ashutosh Mishra "Ashu" said...

samajhdaari ka sauda..behtarin

Mamta Bajpai said...

बहुत खूब कहा ...बधाई

Unknown said...

behatareen prastuti