Thursday, April 12, 2012

आग के शोले ...

जला दो, दफ़्न कर दो, आज सारी बेटियाँ तुम
फिर देखें, कल कैसे बसर करते हो तुम जिंदगी अपनी ?
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टोपीबाजी भी एक गजब का हुनर है 'उदय'
पर ये, हरेक शख्स के बस की बात नहीं है !
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अक्सर ये सुनते थे हम, कि वो आग के शोले हैं 'उदय'
मगर आज, सांथ होकर भी अंधेरों में नजर नहीं आए !

1 comment:

प्रवीण पाण्डेय said...

न जाने कब समझ आयेगी इस तथ्य की सबको।