Sunday, April 8, 2012

एतराज ...

अब, इसमें, कहीं कोई शंका नहीं है, कि -
भेड़िये, ओढ़ के खाल शेर हुए हैं !
...
सच ! बा-अदब,हम उन्हें भी सलाम करते हैं 'उदय'
जिन्हें सिर्फ, अपने आकाओं की कलम से प्यार है !
...
गर, तुझे एतराज है मेरी खामोशियों पे
तो आके मुझसे लिपट क्यूँ नहीं जाते ?

1 comment:

प्रवीण पाण्डेय said...

एतराज होता भी है, वो बताते भी नहीं।