Friday, March 30, 2012

पैगाम ...

देखना यार तेरी महफ़िल, कहीं सूनी-सूनी न रहे
अब तक तेरा पैगाम, मुझ तक आया जो नहीं !!
...
बहुत शोर है शहर में, आज उसके इल्जामों से
कितने झूठें, कितने सच्चे हैं, 'खुदा' ही जाने है ?

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