Monday, February 27, 2012

क्या आज कुछ कहोगी ?

मैंने देखा है अक्सर
मैं, जब जब होता हूँ सामने तुम्हारे
तुम असहज-सी हो जाती हो !

तुम्हारे दिल की धड़कनें तेज हो जाती हैं
साँसें तेज चलने लगती हैं
बात करते-करते तुम्हारे होंठ कंप-कंपाते से हैं !

और तो और
तुम्हारी आँखें ... भी स्थिर नहीं रहतीं
तुम ... पल पल में ...
कहीं, खोई-खोई-सी नजर आती हो !

मैं जानता हूँ ...
तुम प्यार करती हो मुझे
पर, तुम कुछ कहती नहीं हो !
मालुम नहीं, ऐंसा क्यूँ ?

अगर चाहो ... तो ... आज ...
बेझिझक ... कह दो ... मैं भी चाहता हूँ ...
सुनना ... तुम्हारे दिल की ... मन की ... बातें ...
कहो ... क्या आज कुछ कहोगी ??

3 comments:

प्रवीण पाण्डेय said...

सच्चे प्रेम से अधिक प्रतीक्षा कोई नहीं करता है।

Pratik Maheshwari said...

ऐसी दबंग लड़कियां कहाँ जनाब? :P

Unknown said...

Akasr intajaar lambi ho jaati hain