Thursday, February 16, 2012

मुहब्बत ...

तू
खामो-खाँ
मुहब्बत का दम मत भर
और तो और
खुद को
दिलासा भी मत दे
कि -
तू चाहती है मुझे !
मेरा जब नाम लेना हो
तब
मैंने देखी है
तेरे होंठों की कम्पन !
और, साँसों की धड़कन !!

3 comments:

vidya said...

nice one..

प्रवीण पाण्डेय said...

गजब अभिव्यक्ति है...

dinesh aggarwal said...

सुन्दर भावपूर्ण अभिव्यक्ति......
कृपया इसे भी पढ़े-
नेता- कुत्ता और वेश्या(भाग-2)