आँखों की शर्म भूल जा, बाहों को थाम ले
तू उम्र की हिचकी न ले, साँसों में आग है !
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सच ! उसने बड़े अदब से आशीर्वाद की कीमत चाही है
कीमत अदा कर, क्यूँ न रिश्ता दफ़्न कर दिया जाए ?
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आज का दिन, खामोश-सा क्यूँ है ?
सर्द रातों में, गर्म आंच-सी क्यूँ है ??
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