Saturday, January 7, 2012

विकल्प ...

चारों ओर
बड़ी बड़ी दीवारें खड़ी हैं
तुम चीखोगे
तो जरुरी नहीं कि तुम्हारी आवाज
उस ओर
किसी के कानों तक पहुंचेगी !

गर, पहुँच भी गई
तो यह कतई जरुरी नहीं
कि -
जिसके कानों तक पहुँची है
इन दीवारों के बीच
उसकी भी एक दीवार न हो !

इस तरह
तुम्हारी आवाज दब के रह जायेगी
या फिर गूंजती रहेगी
फिर क्या करोगे ?
क्या कोई और विकल्प है -
तुम्हारे पास ??

2 comments:

भारतीय नागरिक - Indian Citizen said...

एक दिन अवश्य कुछ न कुछ अच्छा होगा.

प्रवीण पाण्डेय said...

विकल्पहीन जनता..