Thursday, January 26, 2012

योगदान ...

मैं
पागल नहीं हूँ
और न ही कोई सिरफिरा हूँ
फिर भी
हर पल, हर क्षण, हर घड़ी
कुछ न कुछ चीखते रहता हूँ !

ये चीखें -
उनके लिए नहीं हैं
जो अपने हांथों से
अपने कानों में रुई ठूंस के
कंटोपा पहन के बैठे हैं !

ये चीखें -
उनके लिए भी नहीं हैं
जो अंधे हैं -
या
जान-बूझकर अंधे बने हुए हैं !

ये चीखें -
सिर्फ उनके लिए हैं
जो
गलत राह पकड़ के
उन अंधे-बहरों की ओर
झूठी उम्मीदों संग बढ़ रहे हैं !

वो भी सिर्फ इसलिए
कि -
उन्हें रोकने का
कम से कम
एक प्रयास तो किया ही जाए
कहीं, वे भी -
उनके जैसे अंधे-बहरे न बन जाएं !

क्यों, क्योंकि -
इस तरह उनके जैसा बनकर
स्वतंत्रता में
गणतंत्रता में
उनका भी योगदान
उनके जैसा, नगण्य ही रहेगा !!

1 comment:

प्रवीण पाण्डेय said...

काश उनके अनुयायी ही सच जान लें..