"चलो अच्छा हुआ, जो तुम मेरे दर पे नहीं आए / तुम झुकते नहीं, और मैं चौखटें ऊंची कर नही पाता !"
behtreen abhivaykti.........
बड़े होने के चक्कर में लोग अपनी छाँह का विस्तार समेटने लगते हैं।
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behtreen abhivaykti.........
बड़े होने के चक्कर में लोग अपनी छाँह का विस्तार समेटने लगते हैं।
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