सच ! अभी मैं मरा नहीं हूँ
तुम चाहकर भी -
मुझे अभी बेच नहीं सकते !
अभी मेरी -
सांस चल रही है !
दिल धड़क रहा है !
खून भी गर्म है !
एक काम करो -
तब तक, तुम चाहो तो
किसी और को तलाश लो !
शायद,
कोई और मिल जाए -
सौदे के लिए !
उसका जो चाहे -
किडनी
लीवर
आँख
या पूरी लाश -
तुम बेझिझक बेच देना !
मेरा ईमान मैंने बेचा नहीं था
शायद, इसलिए -
मुझे मरने में टाईम लग रहा है !
वैसे मैं भी अभी -
किसी ज़िंदा लाश से कम नहीं हूँ !!
4 comments:
bebaak satya
sahi likha hai uday ji...
shat parti shat.....
जी ले भाई, जीवन जब तक
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