Friday, November 11, 2011

प्रेम ...

जी ने, तो न चाहा था कभी
आज खुद-ब-खुद सवेरा हो गया
भोर की किरणों में -
मेरा वसेरा हो गया
रात तो सोये थे समय पर ही 'उदय'
नींद का खुलना बहाना हो गया
प्रेम होना था सुबह से हमें
नींद खुलते ही हमें वो हो गया !!