Wednesday, November 16, 2011

... हालात से पार खुद को पाया है !

जिस घड़ी नजर ठहरेगी, जमाने की हम पर
मान लेंगे, वही सूरत, मुकम्मल है यारो !
...
यह न पूंछो की बहस का मुद्दा क्या है
कुछ नहीं भी है, तो भी बहस जारी है !
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सच ! जब से मिलना दुश्वार हुआ है यारों से
तब से यारों ने भी, मुझसे नाता तोड़ लिया !
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दोस्तों ने एहसान तले दबाने का मन बनाया था 'उदय'
वो तो अच्छा हुआ, जो तुम समय पर आ गए !!
...
ज़रा देखो, उठकर आईने में खुद को
न मुस्कुरा दो, तो जो चाहे कह लो !
...
हाल-ए-दिल, हमारा तो 'सांई' जाने है
अब क्या न कहें, क्या छिपाएं उससे !
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सच ! मेरे यार मुझे, मैकदे पे ढूंढ रहे थे 'उदय'
कहाँ है खबर उनको, कि अब मैं पीता नहीं हूँ !
...
'सांई' ही जाने, क्यूँ उसने चुन लिया है मुझको
आज के दौर में भी, मैं उतना सियाना नहीं हूँ !
...
सच ! तंग हालात में भी, हम कब ठहरे हैं 'उदय'
कभी खुद से, कभी हालात से पार खुद को पाया है !
...
आज हर उस शख्स के हाँथ में, मैंने हैं पत्थर देखे
जिनको देखा था कभी, हाँथ फैलाए हुए !

1 comment:

सागर said...

बेहतरीन रचना.....