Sunday, November 20, 2011

यही वो धड़कता दिल है ...

एक नई पुस्तक की ओर बढ़ते कदम ... टाईटल - 'गेट वे आफ इंडिया'
इसी पुस्तक के कुछ अंश ...
" ...
मैं, करने को तो कुछ नहीं करता ... पर बहुत कुछ करता हूँ, बहुत कुछ बोले तो एक लेखक हूँ ... मेरे स्टाईल में कहूँ तो 'शब्दों का जादूगर' हूँ !
वाह ... बहुत सुन्दर ... क्या खूब अल्फाज बयां किये हैं ... सच, मुझे यकीं हो रहा है कि तुम सचमुच 'शब्दों के जादूगर' होगे ... पर जान पड़ता है कि अभी आपका 'जादू' शुरू नहीं हुआ है !
हाँ ... बिलकुल सही पहचाना आपने ... और सुनाएँ कुछ अपने बारे में !
फिर किसी दिन ... अपना नाम व पता !
क्या करोगी जानकर ... आज मैं कुछ भी नहीं हूँ और तुम एक फिल्म ऐक्ट्रेस हो ... ऐक्ट्रेस बोले तो मुंबई की जान !
हूँ ... बहुत ही ज्यादा मीठी बातें करते हो ... किसी को भी पल भर में अपना बना लेते हो !
जी नहीं, अभी तक तो अकेला हूँ ... शायद किसी को मौक़ा नहीं मिला हो, मेरी बातें सुनने का !
या यूँ समझूं कि - तुमने किसी से बातें नहीं की हों !
ये भी समझा जा सकता है ... इस शहर में किसे फुर्सत है सुनने-सुनाने की ... खैर जाने दो, आप निकल रही थीं !
हाँ, जाना तो है ... पर तुमने अपना नाम व पता नहीं बताया !
हाँ ... शायद आज आपको मिल भी न पाए ... अगर इस धड़कते दिल ने हमें दोबारा मिलवाया तो जरुर ... नहीं तो, नहीं !
तुम्हारा मतलब 'गेट वे आफ इंडिया' से है !
जी हाँ ... यही वो धड़कता दिल है ... इसने चाहा तो किसी दिन ... तब तक के लिए, एक दुआ करता हूँ - खुदा आपकी खूबसूरती को सलामत रखे !
हिना कुछ पल खड़े खड़े देखती रही, उसकी बातों में इस कदर खोई कि खोये खोये कदम उसके खुद-ब-खुद आगे बड़े और वह एक अंजान शख्स के होंठों को चूमकर चली गई ...
... "

2 comments:

SANDEEP PANWAR said...

बेहतरीन प्रस्तुति। बहुत विस्‍तार से समझाया है

***Punam*** said...

यही वो धड़कता दिल है ...

बेहतरीन प्रस्तुति....!!