Saturday, November 19, 2011

... उन्हें, खुद ही नुकीला कर रहा हूँ !

सच ! कल तक वो दीवानगी की हद में थे
आज न जाने क्या हुआ जो पार कर गए !
...
दिल न बोले तो भी, तू आज कुछ तो बोल दे
देख मैं कब से खडा हूँ, आज तू दर खोल दे !
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कल तक हुए थे हम तेरे, आज सारा ज़माना हो गया
क्या हुनर पाया है तूने, जो ये जग दीवाना हो गया !
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दुआएं दोस्तों की, दवा बन गई हैं 'उदय'
सच ! दिल अब मेरा, चहचहाने लगा है !
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अगर चाहो तो आ जाओ, न चाहो तो न आओ
मगर ये याद रखना तुम, अभी हारा नहीं हूँ मैं !
...
तेरे पाजेब की रुनझुन मुझे हंसती-हंसाती है
जब तू नहीं होती, मुझे फिर वो सताती है !!
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किसी न किसी दिन जज्बात मेरे, आसमां चीर देंगे
सच ! अभी तो मैं उन्हें, खुद ही नुकीला कर रहा हूँ !
...
हर एक शख्स में गिरगिट-सा हुनर होता है
मौक़ा-बे-मौक़ा खुद ही, रंग बदल लेता है !
...
सुनते हैं, जिंदगी यादों का सफ़र है 'उदय'
क्या लेके जाना है, सब यहीं छूट जाना है !
...
गर तुम कह देते मुहब्बत नहीं है हमसे
तुम्हारे न सही, किसी के हो गए होते !

5 comments:

प्रवीण पाण्डेय said...

जज़बात शर्मीले होते जा रहे हैं, उन्हें दूर रहना ही अच्छा लगता है।

vandana gupta said...

किसी न किसी दिन जज्बात मेरे, आसमां चीर देंगे
सच ! अभी तो मैं उन्हें, खुद ही नुकीला कर रहा हूँ !
...
गर तुम कह देते मुहब्बत नहीं है हमसे
तुम्हारे न सही, किसी के हो गए होते !

हर शेर लाजवाब्…………सुन्दर्।

SANDEEP PANWAR said...

रचना अच्छी लिखी है।

Shoonya Akankshi said...

"किसी न किसी दिन जज्बात मेरे, आसमां चीर देंगे
सच ! अभी तो मैं उन्हें, खुद ही नुकीला कर रहा हूँ !"

नयापन लिए हुए है यह शेर. शेरों का अच्छा गुलदस्ता सजाया है |
- शून्य आकांक्षी

ASHOK BAJAJ said...

अच्छी रचना .