एक दिन ऐंसा भी आयेगा
रावण
वादा कर
जलने से ...
मरने से ... मुकर जाएगा !
लड़ते लड़ते ... अड़ जाएगा
सामने ...
रावण रूपी राम को देखकर
मरने से
वह पीछे हट जाएगा !
कह देगा, ... वो कह देगा
नहीं मरुंगा, ... नहीं मरुंगा
कलयुगी राम -
के हांथों से
अब मैं नहीं मरुंगा !
कैसे ... मैं मर जाऊं ...
आज, उन हांथों से, जो खुद ही
भ्रष्ट
कपटी
पापी
दुष्ट
घुटालेबाज हुए हैं !
जन ... गण ... मन ...
रावण
वादा कर
जलने से ...
मरने से ... मुकर जाएगा !
लड़ते लड़ते ... अड़ जाएगा
सामने ...
रावण रूपी राम को देखकर
मरने से
वह पीछे हट जाएगा !
कह देगा, ... वो कह देगा
नहीं मरुंगा, ... नहीं मरुंगा
कलयुगी राम -
के हांथों से
अब मैं नहीं मरुंगा !
कैसे ... मैं मर जाऊं ...
आज, उन हांथों से, जो खुद ही
भ्रष्ट
कपटी
पापी
दुष्ट
घुटालेबाज हुए हैं !
जन ... गण ... मन ...
जिनसे -
त्रस्त हुए हैं !
एक दिन, ऐंसा भी आयेगा
रावण -
मरने से पीछे हट जाएगा !!
त्रस्त हुए हैं !
एक दिन, ऐंसा भी आयेगा
रावण -
मरने से पीछे हट जाएगा !!
4 comments:
सच है।
राम कलयुगी हो गए तो भला रावन कैसे पीछे रहेंगे???
खुबसूरत भाव भरी कविता
विजयादशमी की हार्दिक शुभकामनाएं
हाँ वो दिन शायद अभी के ही दिन हैं.. रावण नहीं मर रहा है.. क्योंकि हमारे अन्दर भी रावण ही घुसा बैठा है..
हे भगवान् ये कैसा विनाश है..
इस कलयुग में, हमें बेफिज़ूल,
नारी में सीता और नर में राम की तलाश है!!
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