Friday, October 14, 2011

सच ! करवा चौथ है !!

कितने
अजीब संस्कार हैं
लोग भी ...
जिन्होंने
संस्कार बनाए !

कभी नहीं सोचा
कि -
जो इंसान
सुबह-शाम, रोज-रोज
शैतां होता है ...
अपनी औरत के लिए !

कभी मारता
कभी कचोटता
कभी निचोड़ता है
उसकी मर्जी ...
जो आए ... करता है !

फिर भी ...
आज
वह शैतां
देवताओं की तरह
उसी औरत के हांथों
पूजा जाएगा
क्यों ? क्योंकि -
आज
करवा-चौथ है !

संस्कारों ने
उसे
देवता बनाया है
आज
उसकी लम्बी उम्र के लिए
दुआएं होंगी
प्रार्थनाएं होंगी
निर्जला उपवास रखे जाएंगे
उसे देखे बगैर
उसे पूजे बगैर
उपवास नहीं टूटेंगे !
आज ...
सच ! करवा चौथ है !!

4 comments:

प्रवीण पाण्डेय said...

कुछ कोमलता बनी रहे भावों में।

देवेन्द्र पाण्डेय said...

करवा चौथ पर कड़वा सच या कडवा सच पर करवा चौथ!

सु-मन (Suman Kapoor) said...

bahut sahi likha hai aapne...kitna kadva sach hai ye

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

एक कड़वा सच कहती सोचने पे विवश करती रचना