कितने
अजीब संस्कार हैं
लोग भी ...
जिन्होंने
संस्कार बनाए !
कभी नहीं सोचा
कि -
जो इंसान
सुबह-शाम, रोज-रोज
शैतां होता है ...
अपनी औरत के लिए !
कभी मारता
कभी कचोटता
कभी निचोड़ता है
उसकी मर्जी ...
जो आए ... करता है !
फिर भी ...
आज
वह शैतां
देवताओं की तरह
उसी औरत के हांथों
पूजा जाएगा
क्यों ? क्योंकि -
आज
करवा-चौथ है !
संस्कारों ने
उसे
देवता बनाया है
आज
उसकी लम्बी उम्र के लिए
दुआएं होंगी
प्रार्थनाएं होंगी
निर्जला उपवास रखे जाएंगे
उसे देखे बगैर
उसे पूजे बगैर
उपवास नहीं टूटेंगे !
आज ...
सच ! करवा चौथ है !!
अजीब संस्कार हैं
लोग भी ...
जिन्होंने
संस्कार बनाए !
कभी नहीं सोचा
कि -
जो इंसान
सुबह-शाम, रोज-रोज
शैतां होता है ...
अपनी औरत के लिए !
कभी मारता
कभी कचोटता
कभी निचोड़ता है
उसकी मर्जी ...
जो आए ... करता है !
फिर भी ...
आज
वह शैतां
देवताओं की तरह
उसी औरत के हांथों
पूजा जाएगा
क्यों ? क्योंकि -
आज
करवा-चौथ है !
संस्कारों ने
उसे
देवता बनाया है
आज
उसकी लम्बी उम्र के लिए
दुआएं होंगी
प्रार्थनाएं होंगी
निर्जला उपवास रखे जाएंगे
उसे देखे बगैर
उसे पूजे बगैर
उपवास नहीं टूटेंगे !
आज ...
सच ! करवा चौथ है !!
4 comments:
कुछ कोमलता बनी रहे भावों में।
करवा चौथ पर कड़वा सच या कडवा सच पर करवा चौथ!
bahut sahi likha hai aapne...kitna kadva sach hai ye
एक कड़वा सच कहती सोचने पे विवश करती रचना
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