Sunday, October 16, 2011

जीवन छुक-छुक गाड़ी है ...

जीवन छुक-छुक गाड़ी है
बहुत दूर स्टेशन है !

ग्रीन लाईट है बढ़ने दो
धीरे धीरे चलने दो !

हवा के झौंके आने दो
गीत-भजन भी होने दो !

छुक-छुक बातें चलने दो
छुक-छुक यादें बनने दो !

छुक-छुक करते आए थे
छुक-छुक करते बढ़ने दो !

बहुत दूर स्टेशन है
ग्रीन लाईट है बढ़ने दो !

जीवन छुक-छुक गाड़ी है
धीरे धीरे चलने दो !!

4 comments:

प्रवीण पाण्डेय said...

छुक छुक में जीवन दर्शन।

Suresh kumar said...

बिलकुल सही कहा आपने जीवन छुक छुक गाड़ी है धीरे -धीरे चलना ही पढ़ेगा |

अनुपमा पाठक said...

ऐसा ही है जीवन!

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

अच्छे से समझाया जीवन दर्शन