आज के दौर में
सहज होना कठिन है
या फिर
लोग सहज होना नहीं चाहते
सोच रहा था
सोचते सोचते सोचा
कि -
शायद ! लोग
सहज होना ही नहीं चाहते !
इसके पीछे कोई वजह होगी
फिर यह सोचने लगा
पर, नतीजतन यह लगा
कि -
जो लोग खुद को
थोड़ी-सी भी ऊँचाई पर -
समझते हैं
महसूस करते हैं
या होते हैं
वे सहज होना ही नहीं चाहते
क्यों, क्योंकि -
सहज होने से, शायद
वे खुद को -
ऊंचा न महसूस कर सकें !
5 comments:
सहज होना ही असहज हो गया है।
बहुत गंभीर कविता...
वे सहज होना ही नहीं चाहते
क्यों, क्योंकि -
सहज होने से, शायद
वे खुद को -
ऊंचा न महसूस कर सकें !
आज के लोगों के मनोभाव को पकडा है आपने !!
नाम एक अनुरूप ही कड़वा सच है ...सहज होने में अपने श्रेष्ठता का लोभ रह जाता है !
गंभीर चिन्तन्।
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