Tuesday, October 4, 2011

... हम उसकी सहेली पे फ़िदा थे !

तेरे नैन-नक्स किसी मल्लिका से कम नहीं है
उफ़ ! फिर भी तू है कि उदास बैठी है !!
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वो इस कदर लोट-पोट हुए हैं मुहब्बत में
न घर का पता है, न खुद का ठिकाना है !
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क्या खूब दास्ताँ है, क्या खूब आरजू है
बात सुन ली तेरी, तो चल पडी है मेरी !
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चलो अच्छा हुआ, वादे किये नहीं हमने
अगर वो टूट जाते तो, हम रूठे हुए होते !
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सच ! न तो मैं सर हूँ, और न ही सरकार हूँ
लोग कहते हैं मुझे, भोला-भाला इंसान हूँ !
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ख़्वाबों, ख्यालों, धड़कनों में बसर था मेरा
नहीं था तो मगर, उसके होंठों पे नहीं था !
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हमें खबर कहाँ थी, कि वो हमें चाहते हैं
बे-वजह ही हम उसकी सहेली पे फ़िदा थे !
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मंहगाई बढाने के अलावा, नहीं कोई विकल्प था
कालाधन बटोरने का, एक छोटा-सा संकल्प था !
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सच ! बहुत जल्द ही सौ का सिक्का, धूम मचाएगा
कल जो मिलता था चवन्नी में, अब सौ में आयेगा !
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हम तो सौदागिरी के हुनर को सलाम करते हैं 'उदय'
लोग कभी मुल्क का, तो कभी खुद का सौदा किये हैं !

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