Tuesday, October 25, 2011

... रौशनी बन जगमगाऊँगा !!

'रब' ने चाहा तो आज मैं भी दीप बन जाऊंगा
किसी के ख्यालों में रौशनी बन जगमगाऊँगा !
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खुदी के कद को, इतना बढ़ा लो 'उदय'
लोग देखें तो लगे, आसमां हांथों में है !
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जी तो चाहे है कि मुहब्बत कर लूं
पर सोचता हूँ, कि किस से करूं !!
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जी चाहता है मेरा भी, दीप जलाऊँ
तुम होते, तो शायद दीवाली होती !
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सिर्फ दिल की लगी होती, तो बुझ गई होती
ये आग, जेहन में लगी है, कैसे बुझने दूं !!
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हर रंग में रंगने को बेताब हूँ
मगर जिद है, तेरे हांथों से !
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तुम्हारे होने का असर, अब पूछो हमसे
पूछना है तो, होने का असर पूछो हमसे !
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लोग हमसे उमड़ उमड़ के मिल रहे थे 'उदय'
बात जब दिल की आई, अनसुनी कर गए !!
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ये सोच के मत बैठो 'उदय' कि आज दीवाली है
सूने दिलों तक, चराग बन के पहुँचना है हमें !!
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कभी कभी तो, जल के ख़ाक होना ही है 'उदय'
क्यूं आज से, दीपक बन थोड़ा-थोड़ा जल लिया जाए !
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जी चाहे है, सारी रात चिराग बन जलता रहूँ
कोई तो, कहीं तो होगा, जो अंधेरे में होगा !
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सच ! मैं दीवाली की खुशियाँ, कैसे मना लूं 'उदय'
दिल कहता है, आज की रात भी कोई अंधेरे में है !

2 comments:

प्रवीण पाण्डेय said...

सबके मन का अन्धतम मिटे, सबका जीवन सफल हो।

सूर्यकान्त गुप्ता said...

दीपावली की बहुत बहुत बधाई……