अब मैं बहुत याद आऊँगा
बहुत ही जियादा याद किया जाऊंगा
क्यों, क्योंकि -
मैं अब मर गया हूँ
है न कुछ अजब विडम्बना
कि -
मैं जीते जी कम याद किया गया
मरने के बाद -
बहुत ही जियादा याद किया आऊँगा
देख लो, याद आ रहा हूँ
मरते ही सबको याद आ रहा हूँ
याद आते रहूंगा ...
जन्मदिन के बहाने
जन्म शताब्दी के बहाने
पुण्यतिथि के बहाने
अक्सर गोष्ठी-संगोष्ठी होते रहेंगी
मेरे नाम पर ...
मैं एक ऐंसी साहित्यिक दुनिया का -
जीव, निर्जीव रहा हूँ
जहां -
अक्सर मरने के बाद
याद किये जाते हैं
पूजे जाते हैं, किसी न किसी बहाने ... !!
1 comment:
एक यथार्थ
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