Saturday, September 3, 2011

... कदम चलते रहें, और भीड़ बढ़ती रहे !

काश ! हमारे देश का मुखिया गूंगा, बहरा, या मूकबधिर होता
पर जो होता, जैसा होता, हमारे सामने तो होता !!
...
कूदने
को कूद जाओ, क्या फरक पड़ता हमें
रंज
मत करना कभी, क्यों हमने रोका नहीं !
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नहीं होता मैं थोड़ा बुरा, तो फिर भला होता कैसे
मेरी सूरत से ज्यादा, कहीं मेरी सीरत भली है !!
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सच ! जब से आए हैं हम, तेरे पल्लु के साये में
सिर्फ मुजरिम नहीं, 'निगरानीशुदा' भी हुए हैं !
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इस दौर में हदें तो वाकई बहुत पार हुई हैं
कभी तुम से, कभी हम से, हद तो हुई है !
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हर ओर, चंहू ओर, खासम-खासों की खूब चर्चा है 'उदय'
उफ़ ! उनका क्या होगा, जो तल्ख़-तीखे-कंटीले हुए हैं !!
...
सच ! चंहू ओर कातिलों की मौज है 'उदय'
हाँथ हथकड़ियों से भी ज्यादा मजबूत हुए हैं !
...
हम कौन हैं, कहाँ जा रहे हैं, ये हमको नहीं है खबर
और तुम हो कि - हम से ही हमारा पता पूंछते हो !

...
हे 'सांई', इरादे मेरे इतने बुलंद कर दे
कदम चलते रहें, और भीड़ बढ़ती रहे !!

2 comments:

प्रवीण पाण्डेय said...

जीवन तो फिर भी बढ़ेगा।

Deepak Saini said...

बहुत सुन्दर