आडवाणी जी, नमस्कार
मुझे लगता है, बहुत हुआ
राजनैतिक खेल
क्यों न कुछ नया किया जाए
रथ-वथ, यात्रा में कुछ नहीं रखा है
वही, थोड़ी-बहुत सहानुभूति
जो आपको पहले भी मिलते रही है
पर, अब, कुछ नया
कर गुजरने का समय है
राजनैतिक महत्वाकांक्षाएं
कुछ नहीं रखा है, अब, इन, राजनैतिक ... !
मुझे तो यह लगता है
कि -
अब आपको 'ट्रैक' बदल लेना चाहिए
राजनैतिक हलके की अपेक्षा
सामाजिक हलके में कदम रख कर
कुछ जन कल्याणकारी
कदम उठाकर, अभी भी
कुछ सुनहरे एतिहासिक पन्ने
लिखे जा सकते हैं
जो राजनैतिक दांव-पेंचों से लिखे जाने
मुश्किल, असंभव जैसे हैं !
बहुत हुआ, बहुत हो चुका
राजनैतिक खेल
अब, आप, देख तो रहे हैं
राजनैतिक -
पैंतरेबाजी, दांव-पेंच, पटका-पटकी
वर्त्तमान, भूतपूर्व
प्रधानमंत्रियों तक के नाम
एतिहासिक पन्नों में दर्ज होते होते भी
सुनहरे न रहकर, स्वमेव, काले हो जा रहे हैं !
गर, आप
प्रधानमंत्री बनने की
महात्वाकांक्षा रखते हैं
और प्रधानमंत्री बन भी जाते हैं
तब भी, इस बात की कोई गारंटी नहीं
कि -
आपका नाम इतिहास के पन्नों पर
सुनहरे अक्षरों में ...
पर, खैर, जैसी आपकी मर्जी
बस, मुझे तो लगा कि -
उम्र के इस पड़ाव पर
क्यों न, एक पारी, जन कल्याणकारी ... !!
1 comment:
काश, ये बात उनको समझ में आती...।
सुंदर विचार।
------
ब्लॉग समीक्षा की 32वीं कड़ी..
पैसे बरसाने वाला भूत!
Post a Comment