किसी ने चाल बदल ली, किसी ने बोली बदल ली
हुआ शातिर वो इतना कि उसने सूरत बदल ली !
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आज हाकिम के बंदे-अन्ना के दर, है ईमान का रोजा
कल बेईमान-गुनहगारों के घर, होगी सुलगती होली !
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अब कोई आकर पूंछ न बैठे, हाल-ए-वतन मुझसे 'उदय'
उफ़ ! भ्रष्टतंत्र को देख-देख के, अब गूंगा रहा नहीं जाता !
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जुल्म हम सहते रहें, बस ललकारना गुनाह है
भ्रष्टाचारियों के पास, आज पैंतरे हजार हैं !!
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दो-चार लोगों को, मौक़ा मिला है आज फिर
खुद जंग लड़ सकते नहीं, उंगली उठाते हैं फिरे !
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लुटेरों के बीच रहते रहते, लुटेरा बनने का मन हो गया
हिस्से-बंटवारे की चाह में, खुद लुटने का भय खो गया !
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न जाने कब तलक, तेरी यादों के साये में, मेरी ये शाम गुजरेगी
सच ! तेरी यादें न होंगी, न जाने कैसे मुझे, फिर नींद आयेगी !!
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सच ! तू शीत लहरों में भी, बैठ कर मुरझा रही
देख बाहर तू निकल, मैं धूप में भी खिल रहा !!
3 comments:
सारे अशआर जागरूक करते हुए
अब कोई आकर पूंछ न बैठे, हाल-ए-वतन मुझसे 'उदय'
उफ़ ! भ्रष्टतंत्र को देख-देख के, अब गूंगा रहा नहीं जाता !
बहुत खूबसूरत अवाहन दोस्त जी :)
अंतिम पंक्तियाँ सबसे बेहतरीन!
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