Saturday, August 20, 2011

भ्रष्ट सिस्टम !!

भाई साहब,
मैं कोई जन्मजात भ्रष्टाचारी नहीं हूँ !
और न ही -
मेरा कोई दूसरा सांथी भी भ्रष्टाचारी है !
वो तो हमारा भ्रष्ट सिस्टम है
जो हमें, भ्रष्टाचार करने के लिए
समय समय पर
कदम-दर-कदम
उकसाता, डराता, भड़काता है !

गर, कुछ कर सकते हो
बदल सकते हो, तो बदल डालो
सड़े,
गले,
दीमक लगे,
फफूंद लगे
भ्रष्ट, भ्रष्टतम, भ्रष्टाचारी सिस्टम को !

वर्ना, हो-हल्ला, चिल्लम-चिल्ली, का कोई
कहीं कोई औचित्य नहीं है !
आओ, आगे आओ, लगाओ, सब मिलकर
दम-ख़म !
किसी एक, दो, तीन -
के बल-बूते की बात नहीं है !
तुमको, हमको, सब को, हम सब को
आना पडेगा
भिड़ना पडेगा
लड़ना पडेगा
इस भ्रष्ट, भ्रष्टतम, भ्रष्टाचारी सिस्टम से !

जब तक, आप, हम, सब
नहीं आ जाते, नहीं भिड़ जाते
इस भ्रष्ट सिस्टम से !
तब तक -
भ्रष्टाचारी सिस्टम की !
भ्रष्टाचारियों की !
तुम्हारी, हमारी, हम सब की, जय हो !!

2 comments:

आपका अख्तर खान अकेला said...

uday bhai khub nya andaz nikaala hai badhaai ho bhaia .akhtar khan akela kota rajsthan

प्रवीण पाण्डेय said...

कीचड़ के छींटे तो सब पर पड़ ही जाते हैं।