Friday, June 10, 2011

... जाते जाते, रूह और जमीं, एक-दूजे से खफा हो गए !!

हर रंग से जुदा हैं, रंग जिसपे खुद--खुद फ़िदा हैं
बेटियाँ इस धरा में, रंग-खुशबू-प्रेम का आसमां हैं !
...
जाने क्या कहा तुमने, जाने क्या सुना हमने
क्या समझें, क्या समझें, समझना भी जरुरी है !
...
वफ़ा करते करते, जाने कब, हम बेफवा हो गए
जाते जाते, रूह और जमीं, एक-दूजे से खफा हो गए !
...
इन आँखों की गुस्ताखियों ने, मुझे तेरा दीवाना बना दिया
वरना, बता, तू खुद ही मुझे, तुझ में ऐसा रक्खा क्या है !!

6 comments:

भारतीय नागरिक - Indian Citizen said...

पहला वाला सबसे बढ़िया.

Dinesh Mishra said...

निःशब्द .......बहुत सुंदर !!

AK SHUKLA said...

उदय जी सुंदर रचना | बधाई |

Patali-The-Village said...

बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति| धन्यवाद|

شہروز said...

prbhavi!! bahut achcha laga dinon bad aaya hun. samay ki khoob qillat hai bhai.

प्रवीण पाण्डेय said...

वाह।